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Hacking हैकिंग क्या होती है।
एथिकल हैकिंग क्या होती है।
दोस्तों आज हमारे पास बहुत सारी स्मार्ट डिवाइस है। मोबाइल फोन ,कंप्यूटर, लैपटॉप इन सब डिवाइस के अंदर एक चीज को कॉमन है। वह है इंटरनेट ,इंटरनेट ने पूरी दुनिया को जोड़ रखा है। लेकिन इससे एक नुकसान भी है कि हम हैकिंग के जरिए दूसरे के कंप्यूटर में झांक सकते हैं।
डिवाइस
कंप्यूटर और स्मार्टफोन यह सभी डिवाइस जिस चीज पर निर्भर है। उसे सॉफ्टवेयर कहते हैं। यह प्रोग्राम के रूप में कंप्यूटर भाषा में लिखा जाता है। इसकी भाषाएं लुनेक्स ,जावा ,सी +, एच टी एम एल जैसी भाषा में लाइन के रूप में लिखा जाता हैं।
यदि हम किसी प्रोग्राम को खोलने में सक्षम है। हम उसके अंदर लिखे गए बाइनरी कोड सिक्योरिटी अरेंजमेंट को भी तोड़ सकते हैं और उसके अंदर डाटा के रूप में रखी गई सारी सिक्योर इंफॉर्मेशन प्राप्त कर सकते हैं।
हैकर
हैकर यही करते हैं। मान लीजिए आपकी एक डिवाइस है। जिसमें आपकी बहुत सारी पर्सन जानकारी है। आपके फोटो हैं, वीडियो हैं ,पासवर्ड है ,आपके बिजनेस का सारा डाटा है ,आपसे पूरी तरह निर्भर है और कोई आपके इस डिवाइस में सेंध लगाकर , आपकी सारी जानकारी चुरा लेता है। आपके सारे सिक्योरिटी कोड चेंज कर देता है। आप अपनी डिवाइस को खोल नहीं सकते है। आपको इस बात की चिंता होती है कि आपके महत्वपूर्ण जानकारी कहीं सावर्जनिक ना हो जाए। आपको उस हैकर को पैसे देने ही पडते हैं।
एथिकल हैकिंग
यही है हैकिंग और हैकर का बिजनेस है। एथिकल हैकिंग एक अलग हैकिंग है। इसमें कई कंपनियां अपना एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर में हैकिंग करवाते हैं। ताकि उसकी कमी के बारे में जानकारी मिल सके और उस कमी को दूर करके उस प्रोग्राम को और बेहतर बनाते हैं। इसे हैकिंग कहते हैं। कमियों को ट्रैक करना हैकिंग होता है।
सैलेरी
एथिकल हैकिंग एक बहुत ही पॉपुलर कोर्स है। एथिकल हैकर की सैलेरी बहुत ज्यादा होती है। कई लोग केवल नौकरी की बजाए कंपनी का काम करके बहुत पैसा कमा लेते हैं। ऐथिकल हैकर्स को कई हैक साइट्स को रिकवर करना भी इन्हीं का काम होता है।
इतिहास
सबसे पहले हैकर शब्द एमआईटी में प्रयोग किया गया था। 1960 में जब कंप्यूटर एक बहुत बड़ी चीज थी। तब उसका कोड क्रैक करने वाले को हैकर कहा गया।
हैकिंग इण्डस्ट्री
आज के वक्त हैकिंग एक बहुत बड़ा क्राइम बनता जा रहा है और करोड़ों डॉलर का एक क्राइम इंडस्टरी बन गया। लोग इस क्राइम से बहुत परेशान हैं क्योंकि हैकर्स की लोकेशन ट्रेस करना लगभग नामुमकिन होता है। इंटरनेट प्रोटोकोल कई ऐसे लूप होते हैं। हैकर के लिए सुनहरे अवसर होते हैं और वो अपना काम करके चले जाते हैं।
क्यों .... ?
इंटरनेट मैं भी बहुत सारी कमियां हैं। इसका फायदा हैकर उठाते हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियां जैसे माइक्रोसॉफ्ट ,यूट्यूब और ऐमेज़ॉन जैसी कंपनीयो को भी हैक किया जा चुका है।
एप्पल
एप्पल ,आईफोन इतनी डिमांड का सबसे बड़ा कारण है। इनको हैक करना बहुत ही मुश्किल है। इसलिए बिजनेसमैन एप्पल की डिवाइस का प्रयोग करते हैं। हैकर के डर से हम लोग चीजों में भरोसा करते हैं जो हैक करना नामुमकिन हो और उन वस्तुओं के लिए वो कई गुना ज्यादा दाम भी चुका सकते हैं।


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